27 सितंबर, 2009

पत्तो से लेकर टेबलेट tak

यह कह पाना मुश्किल है की किसने , कैसे, कब एक पत्ते से इलाज़ करना सीखा होगा, लेकिन जडी-बूटियों से इलाज़ की यह परम्परा हजारों सालों से जाने-अनजाने मैं एक पीढी से दूसरी पीढी को मिलती रहीजो आज अस्प्रिन जैसी दवाओं के रूप मैं हमारे सामने है।

पौधों और जडी-बूत्रियों से इलाज़ उतना ही पुराना लगता है जितना की इस दुनिया मैं मानव का अस्तित्वलेकिन यह कह पाना कठिन है की इन्सान ने यह सब कैसे सीखा? इस बारे मैं सिर्फ़ इतना ही कहा जा सकता है की लगभग ,००,००० सालो से पर्यावरण के संपर्क और अवलोकन के बाद मानव धीरे-धीरे यह जन सका की पौधे, लवण और पशु उत्पादों के उपयोग से से कुच्छ असर पैदा किया जा सकता हैवैसे इतना जरुर देखा गया है की लगभग सभी सभ्यताओं के चिकित्सा के केन्द्र मैं वहां की भोगोलिक परिस्तिथियों के अनुसार उपलब्ध पेड-poudhe

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें